सजा देना चाहता हूँ अंजन सा तुम्हारी आँखों में !

हरसिंगार के फूलों के जैसे बिखरे मिले बहुत से महमहाते पुराने ख्वाब मुझे ..जो तुम्हारी आँखों से टपके थे बूंद बूंद वर्षों में ..! मैंने उन्हें एक एक कर चुना अपनी पलकों से .. और फिर सजा देना चाहता हूँ अंजन सा तुम्हारी…