पूरी जिंदगी जी तोड़ मेहनत कर कितनी भी तैयारियो और खुद के माँजने पोछने चमकाने के बाद एक सरकारी नौकरी जो नही पा सके वह लोग निजीकरण के पक्ष में एक से बढ़कर एक जबरदस्त तर्क उछाल रहे हैं…
केंद्र और राज्यों की सरकारी नौकरियो को मिला लें तो जो कुल सरकारी नौकरियां हैं आज के दौर में उसमें कम्पीट न कर पाने वाले कुंठित 40 से 60 के बीच के नालायक अधेड़ों के तर्क निजीकरण पर पढ़ने और हंसने लायक हैं.. !
ऐसे कुंठित हर बकलोल से मुझे सहानुभूति है जो अपने लिए सरकारी नौकरी में जगह न बना पाने की कुंठा में अपनी पीढियो का भविष्य खून पीने वाले निजी मैनेजमेंट के हाथों में देने के लिए खूब तालियां पीट रहे हैं …
जिओ पट्ठों..खूब लंबा जिओ…एक दिन तो रोना ही है जब चिड़िया खेत चुग उड़ जाएगी …!
रंजन कुमार

Similar Posts