चांद उफक में डूब चुका है,
आ जाओ
यादों की जलती लालटेंने
बुझा दे हम !
रातरानी का शुक्रिया कर
सो जायें ,
यादों को सुबह तक ,
महमहाती रखेंगी ये …
नींद को
सिरहाने बुलाते हैं अब ,
यादों की कुनमुनाती पोटली
पायताने रख देते हैं
संभाल के ,
चाँद भी उफक में
डूब चुका है ,
आ जाओ, यादों की जलती
लालटेने बुझा दें अब !!
– रंजन कुमार