पूर्णिमा के समय आत्महत्या की घटनाएं बढ़ जाती हैं, पूर्णिमा के एक दिन पहले और एक दिन बाद तक ये समय आत्महत्या के लिए संवेदनशील है यह मैंने कई सालों से इकट्ठे किये डेटा विश्लेषण से समझा है!
चांद का असर मन पर सीधे सीधे पड़ता है और जिस तरह पूर्णिमा के चांद से शांत समुंदर की तरंगे भी बेचैन हो उठती हैं और कई फ़ीट ऊंची लहरें हाई टाइड के रूप लेती देखी जाती हैं उसी प्रकार मन की विचार तरंगों को भी पूर्णिमा वैसे ही प्रभावित करता है और यह आंकड़ा तब और बहुत बढ़ जाता है जब चन्द्रग्रहण भी पड़ रहा हो!
अमावस्या पर भी आत्महत्या की घटनाएं बढ़ती हैं पर अटेम्प्ट टू सुसाइड के बाद भी उन दिनों में अधिकतर लोग बच जाते हैं लेकिन पूर्णिमा के वक्त सुसाइड करनेवाले अधिकतर मर जाते हैं.. है न दिलचस्प विश्लेषण!