rose with dew drops
इन कुहासों में लिपटी ,
सुबह को देखो तो जरा ..

मौसम बड़ा खुशनुमा है,

पलकें तो खोलो ..

कुछ कुहासे की बूंदें लाया हूँ मैं ..

तुम्हारे लिए ,

ठंढे थे .. पर मेरे प्रेम ने

गर्म कर दिया इन्हें ..

लो इम्हें अब 

तुम्हारी गालों पर छुआ दूँ ..

पलकों के अंजुमन में 

सजा दूँ इन्हें ,

एक उपहार मेरा

प्रेम-उपहार प्रियतम ….!!
– रंजन कुमार

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