बीज बोए थे तुमने हृदय पर मेरे
वो फसल लहलहाई खूब ..!
खूब बाल आये प्रिय ..
और अब तो ये पकने भी लगे हैं ..!
बीज तुम्हारे थे जमीन मेरी थी
आ जाओ अगर तो बंटवारा कर लें..
इस पकी हुई फसल का
आधा आधा बटैया जो था यह…!
इसके पहले की चूहे छछून्दर और
इनसे पैदा चछूँदर ,मेरे खेत को चर लें ..!!
इनसे पैदा चछूँदर ,मेरे खेत को चर लें ..!!
– रंजन कुमार