मृत्यु पर सबसे ज्यादा लिखा है मैने क्योंकि ध्यान की अनंत गहराइयों में जाकर मैंने मृत्यु के बाद की दुनिया का अनुभव बहुत गहराई से जाना है,इसलिए सुनी सुनाई बातें नहीं,सिर्फ पढ़ी बात भी नहीं,मुझे पता है अपने अनुभव से कि मृत्यु अंत नहीं है,मृत्यु के बाद दूसरे लोक में एक्जिस्टेंस है,ठीक वैसे ही जैसे किसी ने अपना ठिकाना बदल लिया हो इस शहर से बाहर दूसरे शहर में,,मृत्यु इस ब्रह्माण्ड से अलग दूसरे ब्रह्मांड में हमारी चेतना को नया आकार दे देती है प्रारब्ध,और कर्मों के अनुसार…ध्यान की गहराई में उतरकर अपनी चेतना को कॉस्मिक एनर्जी से इस ब्रह्मांड से उस ब्रह्मांड तक जहां हमारे किसी परिजन की मृत चेतना अब मौजूद है वहां तक पहुंचा जा सकता है,मैने ये अतिक्रमण कर के देखा है तभी मेरी किताब अनुगूंज के लिए ये कविता लिखी थी….
मृत्यु है उत्सव
मनाओ ठाट से
ग़मगीन होने की जरुरत
है कहाँ ?
बस एक बार
आता है यह त्योहार सा
मौका नहीं देता है फिर
एक साँस का !
जिन्दगी में जिन्दगी को जान लो
फिर समझ आएगा
ये आगाज है
सिलसिला है एक नए अध्याय का !!
मृत्यु एक पीड़ा दे जाती है दर्द भी दे जाती है…लेकिन ये एक सन्नाटा है ,एक अनिवार्य सत्य भी है ,एक बहाना है एक सफ़र के अंत का और दूसरे सफर के आरम्भ का …मृत्यु के ऊपर मैने बहुत लिखा है क्योंकि ये एक रहस्य है,मेरी हर पांचवीं या छठी रचना में इस रहस्य को समझने का प्रयास करता रहा हूँ …लेकिन इस दर्शन पर आकर फिर ठहर जाता हूँ …मृत्यु का आखिरी सच यही है जो मैंने अब तक समझा है …
(मेरे काव्य संकलन अनुगूंज में ये प्रकाशित भी हुई है)
~ रंजन कुमार 05 जुलाई 2023