
गटर से निकली गैस पर
कहीं उबाली न गई हो
इस आशंका से आशंकित
अपने मन की तसल्ली के लिए
मैने चाय पीना ही छोड़ दिया…
किसी के घर कभी जाओ
और वो जबरन
चाय के अलावा कुछ और
कुछ भी खा लेने की
फिर भी जब मुझसे जिद करते हैं
तो फिर पूछना पड़ता है
आपका गैस कहां से आता है
किस कंपनी का आपका कनेक्शन है
महीने में कितना सिलेंडर
औसतन लग जाता है….??
जब साल के बारह से कम
सिलेंडर खपत होने की
जानकारी पाता हूं…
मन ही मन मैं फिर हड़क जाता हूं,
बाथरूम के बहाने से
गटर की पोजिशन
और गटर को जाती पाइप लाइन
चेक कर आता हूं…
क्या पता कहीं गटर वाली गैस का
सफल उपयोग और प्रयोग
कहीं कर रहा हो कोई…
एक बहुत प्रसिद्ध
भारतीय वैज्ञानिक ने ही
खोज की थी जिस गटर वाले गैस
से चाय बनाने की,
अबतक उसका मुझे उदाहरण
नहीं मिला कोई किसी भी घर में
या किसी नुक्कड़ वाले चाय वाले पर,
पर तबसे आशंकित मन मेरा
हर किसी के घर की गटर लाइन पर
रिसर्च करता रहता है…
मनवा रे तू ही बुरा…
आशंकित कितना होय…
गटर वाली गैस पर उबाली न गई हो
इस आशंका में
चाय की चुस्की खोए…
मनवा रे तू ही बुरा
आशंकित कितना होय…!!
– रंजन कुमार 22 जून 2023