फादर्स डे की सुबह सुबह
अर्जुन ने पूछा कर्ण से,
किसे बधाइयाँ देगा आज तू
ओ अंगराज..?
कौन है तेरा पिता ?
मालूम है क्या ?
एक पल कर्ण सकपकाया,
फिर हौले से मुस्कराया..
मैं सूर्य से पूछ लूँगा ..
मेरे पिता का नाम अर्जुन..
उन दैव को तो पता होगा
मेरा आदि,उदगम नियति सब..!
पूछ लिया अब कर्ण ने अर्जुन से,
ओ महारथी चल अब तू बता..
तू किसे
फादर्स डे की बधाइयाँ देगा..
पांडु को या इंद्र को,या दोनों ही को ?
अर्जुन तब से ही तिलमिलाया
घूम रहा है, कुंती की खोज में..
जिससे पता लगे उसे ,
उसके असली पिता का नाम अब !
– रंजन कुमार