ओ पिता तर्पण तुम्हें..
चिर विश्राम करो तुम,,
परमात्मा की गोद में,
चिर विश्राम करो तुम,,
परमात्मा की गोद में,
तुम शेष नहीं दुनिया में,
मगर तुम्हारा अवशेष
मुझमे जी रहा है …
शिद्दत से !
खुद को देखता हूँ
आईने में,
और सोचता हूँ..
मैं ऐसा हूँ ..
तो तुम कैसे रहे होंगे ?
तो तुम कैसे रहे होंगे ?
होश होने पर..
मैंने तुम्हें नही देखा..!
मैंने तुम्हें नही देखा..!
जहाँ भी है रूह तेरी,
फादर्स डे पर आज,
वहाँ तक मेरा नमन पहुँचे..!
– रंजन कुमार