क्या ऐसे सम्बन्ध बलात्कार की श्रेणी में आने चाहिए – Ranjan Kumar

 
शादी का झाँसा देकर हमारे साथ इतने दिन..इतने महीने ..इतने साल ..से हमारा रेप किया और अब शादी से मुकर गया ..महिलाओं द्वारा पुरुषों पर लगाया जाने वाला यह एक आम मगर संगीन आरोप है जिसपर आज भी हर थाने में कोई न कोई मुकदमा दर्ज है…

मुझे ऐसी स्त्रियो से सख्त नफरत है और इनसे कोई हमदर्दी नहीं ..जब तक शादी नही हुई थी तबतक झाँसे में आकर क्यों सम्बन्ध बनाए ..??


अगर सम्बन्ध बनाए तो यह बलात्कार का मामला कैसे हुआ ..?? सिर्फ एक वादे से मुकरने का मामला भर बनता है यहाँ ..किसी के झांसे में आते वक्त आपकी  विवेक बुद्धि कहाँ खो गयी थी जो खुद को यूँ  प्रस्तुत किया ..? 


मेरे विचार में ऐसी स्त्रियाँ जो ये आरोप ले थाने पहुंचती हैँ हकदार नहीं हैं सम्वेदना के, क्योंकि ये बराबर की भागीदार हैं सम्बन्ध बनाने में और ऐसे मुकदमों की भीड़ बढाने की जरूरत नही है अदालतों में ..


जरूरत है खुद की वासना और तृष्णा पर महिलाएं खुद अगर लगाम लगाएं तो यह नौबतही नहीं आएगी ! 


कोई शादी का झाँसा दे तो भी क्यो सहमत हो जाते हो ..? शादी के बाद ही यह क्यो नही ..क्यों यह शर्त नही लगाई जाती ..? कुछ पाने की लालच आपके अंदर है तो उसका फायदा उठाकर ही कोई यह हरकत आपके साथ कर जाता है जिसे कहा जाता है की झांसा देकर मेरे साथ गलत किया ! 


मेरा प्रश्न यह है की उस झांसे में आकर आपने सम्बन्ध की स्वीकृति जब दी तो यह बलात्कार कैसे हुआ ..? लालच दिया गया और आप लालच में आये तो दोषी केवल लालच देने वाला ही नहीं है,लालच में आकर उससे सहमत हो अनैतिक सम्बन्ध की स्वीकृति देने वाला भी उतना ही दोषी है जिसने गलत और शौर्टकट रास्ते से कुछ पाना चाहा और जब वह नहीं मिला तब उस सम्बन्ध को बलात्कार के मुकदमें के रूप में लिखवा दिया जाता है जो महिला सुरक्षा के लिए बने कानूनों का सरासर दुरूपयोग हुआ ! 


यहाँ धोखाधड़ी का केवल मामला बनता है वह भी तब जब कोई लिखित में वादे हों ..!


प्रबुद्ध वर्ग विचार करे इसपर..और ऐसी  महिलाएँ भी अपने अंदर झाँके,अपनी तृष्णा के कारण अनियंत्रित कामनाओं की पूर्ति हेतू जब खुद को खुद प्रस्तुत किया तब फिर क्या यह बलात्कार है और सिर्फ पुरुष ही दोषी था ..? आप बराबर की भागीदार नही हो इसमे ..? महिला सुरक्षा के लिए बने कानूनों का दुरूपयोग क्या आप नहीं कर रहीं यहाँ पर ..?

मेरा कार्य समाज की विसंगतिओं पर प्रश्न उठाना है और यह ज्वलंत प्रश्न मैंने आपके सम्मुख रखा है जो मेरे सामने काउंसलिंग सेशन में आया और अक्सर आता रहा है ! समाज इसका हल निकालें कानूनी भी और नैतिक हल भी ..नैतिक हल ज्यादा कारगर है अतः यह प्रश्न सीधे ऊन महिलाओं से पूछे जाएं जो ऐसा मुकदमा दर्ज करवाने आती हैं !

एक काउंसलर के रूप में मुझे कभी इन  महिलाओं से हमदर्दी नहीं होती न ही इनको मै पीडीत मानता हूँ ..मानसिक रोगी  और अवसादग्रस्त जरुर हैं ऐसे लोग जिनको मनोवैज्ञानिक सहायता की जरूरत है कानूनी सहायता की नहीं !– रंजन कुमार 

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Ranjan Kumar
Ranjan Kumar

Founder and CEO of AR Group Of Institutions. Editor – in – Chief of Pallav Sahitya Prasar Kendra and Ender Portal. Motivational Speaker & Healing Counsellor ( Saved more than 120 lives, who lost their faith in life after a suicide attempt ). Author, Poet, Editor & freelance writer. Published Books : a ) Anugunj – Sanklit Pratinidhi Kavitayen b ) Ek Aasmaan Mera Bhi. Having depth knowledge of the Indian Constitution and Indian Democracy.For his passion, present research work continued on Re-birth & Regression therapy ( Punar-Janam ki jatil Sankalpanayen aur Manovigyan ).
Passionate Astrologer – limited Work but famous for accurate predictions.

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