हर उम्मीद का अंत है मिलन – Ranjan Kumar

नदी के दो किनारे ..
जो कभी नही मिलते
बस साथ साथ चलते है
एक निश्चित दूरी
बनाये रख आपस मे !

समानांतर चलते हैं जबतक
तबतक ही अस्तित्व है नदी का…
उनका मिलन
सर्वनाश का कारक होगा
नदी के लिए भी
और किनारे बसते वहां के
जीवन के लिए भी …!

मीत…तुम बस वैसे ही समानांतर
साथ चलो …
अनंत के पथ में अनंत तक साथ
मिलन की चाह से बेपरवाह ..
परम आनंद साथ की यात्रा मे है ..
मिलन तो फिर अंत है
हर उम्मीद का अंत है मिलन ..!!

– रंजन कुमार

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