Sunil Kumar Sinkretik जी एक अच्छे लेखक हैं क्योंकि मैंने इनकी दो किताबें वनकिस्सा और बात वनेचर पढ़ी है जो अत्यंत ही दिलचस्प है!

ये एक अच्छे मित्र हैं शोशल मीडिया पर जिन्होंने कई बार सांपों से संबंधित जानकारी तुरंत इनबॉक्स मेसेज द्वारा मुझे जवाब दिया जब मैने ऑन द स्पॉट साँप देखने के बाद पूछा,जिससे कई सांपों और कुछ इंसानों की जान बचा पाना इनके सहयोग से मेरे लिए संभव हुआ!

जाहिर है जो अच्छा लेखक भी हो मानवीय गुणों से युक्त एक अच्छा मित्र भी हो इस आभासी मंच पर तो वो एक अच्छे अधिकारी भी होंगे सीआईएसएफ के यह मैं दावे से कह सकता हूं उनके गरिमामय व्यक्तित्व की ऊर्जा से !

न बात हुई है कभी न कभी मुलाकात हुई है पर एक अपनापन सा लगता है और इस वजह से भी है यह क्योंकि वायुसेना को 20 साल देकर जब मैं अब VRS इंजॉय कर रहा हूं और हॉबी था लेखन ही मेरा जो अब व्यसन भी है और रोजगार भी,, तो अच्छे से जानता समझता हूं कि एक अर्ध सैनिक बल के अधिकारी के सामने इंटर्नल सिक्योरिटी की कितनी चुनौतियां इनके सामने रोजमर्रा की जिंदगी में हैं और इनके बीच लेखन के लिए वक्त निकालना कितना मुश्किल होता होगा!

“समथिंग सर्पीला”इनकी एक बुक अभी 28 अगस्त को आई है जो मैने प्री ऑर्डर के समय से ही बुक किया था वह मुझ्तक 02 सितंबर को आई है और कुछ अध्याय मैने उसके पढ़े अबतक!यह सांपों पर अदभुत और सबके लिए जरूरी जानकारी देने के जिस उद्देश्य से पाठकों की मांग पर सुनील जी ने लिखा है उस मकसद में लेखक महोदय पूर्णतः सफल हुए हैं!

इसे पढ़ने के बाद आम आदमी सांपों की पहचान करना सीख सकता है और इससे सांपों की जिंदगी भी बचेगी और जानकारी होने के कारण सांप काटने से होनेवाली मौतों को भी रोका जा सकेगा!साहित्य विमर्श प्रकाशन और लेखक दोनो ही इसके लिए बधाई के पात्र हैं ..!!

अनेक मंगलकामनाओं सहित सुनील जी को इस पुस्तक को लिखने के लिए हार्दिक बधाई ,एक पाठक के नाते धन्यवाद और शुभकामनाएं…!!

– रंजन कुमार

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