ऐसे सरल थे नेताजी स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव, श्रद्धांजलि!

आगरा में पोस्टेड था और 1997 का आखिरी महीना शुरू हुआ था दिसंबर 1997.. तब हमारे एयर ऑफिसर कमांडिंग आगरा के AOC एयर कोमोडोर पांडे साहब थे और उन से जो पटना के ही थे मेरे दिल्ली रेडियो स्टेशन से हिंदी में अपने रेडियो प्रोग्राम करने की ऑफिसियल परमिशन लेने के क्रम में कई बार मिलना हुआ तो अच्छी पहचान हो गई थी और उनके ऑफिस में जब भी हिंदी के पत्र आ जाते तो वो मुझे अपने PA द्वारा बुलवा लेते थे हिंदी पत्राचार के रिप्लाई ड्राफ्ट करने के लिए..!

बिहार के लक्ष्मणपुर बाथे में एक घटना घटी जिसमे 58 लोगो की हत्या हो गई थी और ये लक्ष्मणपुर बाथे मेरे घर से 10 किलोमीटर दूर था!

उस दिन जब मैं AOC के ऑफिस में हिंदी पत्रों के रिप्लाई के लिए बुलाया गया था और वही कर रहा था तभी बिना कोई पूर्व सूचना के तत्कालीन रक्षामंत्री मुलायम सिंह यादव सीधे AOC ऑफिस पहुंच गए,अपने घर सैफई से …

वहां अफरा तफरी मच गई क्योंकि AOC पांडे सर 2 घंटे के लिए स्टेशन से बाहर गए थे और उस वक्त उनके ऑफिस में मैं था और उनका सिविलियन PA !

वस्तु स्थिति से उनको अवगत कराने की जिम्मेदारी मुझे मिली और मैं उन्हें जब ये बताने गया कि AOC सर दो घंटे में लौटेंगे तबतक वो स्टेशन वीवीआईपी रेस्ट रूम में आराम करें तो उन्होंने इनकार कर दिया और बोले अभी आधे घंटे में बिहटा एयरफोर्स के लिए जहाज तैयार करवाओ मुझे जाना है विजिट पर अरवल के लक्ष्मणपुर बाथे!

सरल स्वभाव था बड़ा उनका और बिना कोई लाव लश्कर के आए थे अकेले,गाड़ी में सिर्फ एक ड्राइवर के साथ,,कोई सुरक्षा अमला या अधिकारी रक्षा मंत्रालय तक का साथ नहीं था!घर आए हुए थे और ये कांड सुन गाड़ी से तुरंत आगरा आ गए थे वहां के दौरे पर जाने के लिए…

ok सर कह हमलोग सिस्टम से कोऑर्डिनेट कर जहाज रेडी करवाने और मुवमेंट फिक्स करवाने में लग गए!

AOC पांडे सर लौटे तो बहुत खुश हुए ये जान के कि मैं और उनके PA ने सब व्यवस्था ठीक से कर दी थी,केवल जरूरी फॉर्मिलिटी के लिए उनके दस्तखत शेष थे!

इस बीच में कई बार मैं मुलायम सिंह जी के पास गया था कुछ कहने बताने जो वही ऑफिस में ही बैठे थे तो उन्होंने मुझसे मेरा घर परिचय पूछ लिया और जब ये जान गए की घटनास्थल मेरे घर से 10 किलोमीटर ही है तो उन्होंने AOC पांडे सर को मुझे उनके साथ भेजने का आदेश दिया, और पांडे सर ने मुझे साथ जाने कहा!

AN 32 से आगरा से बिहटा की उड़ान भरने के बाद वो काफी कुछ पूछते रहे मुझसे उड़ान के दौरान और मैं निडर निर्भीक बहुत कुछ बताता रहा,,वो सब भी जो नहीं बताना चाहिए था,,मसलन क्या दिक्कत होती है मेरे जॉब में, बैरक में मेस में इत्यादि..!

घटनास्थल पर दौरे के बाद उन्होंने मेरे घर चलने की बात कही तो मैने मना कर दिया ये कह के कि रास्ता भी खराब है और उधर जा फिर लौटने में देर होगी, तब बिहटा में नाइट टेकऑफ लैंडिंग फैसिलिटी थी नहीं!4 बजे के करीब वापस बिहटा से टेकऑफ कर गए, दिल्ली के लिए और उनको दिल्ली छोड़ फिर अपना विमान वापस रात में आगरा आ गया!

हैरत हुई जब देखा मैने कुछ महीनो में मेरे बताए लगभग हर मुद्दे पर सुधार हुआ और मेरी कोई शिकायत उन्होंने मेरे किसी भी अधिकारी से नहीं की थी जिसका मुझे डर था …इतने सरल थे नेता जी …

सेना के शहीद जवानों का शव उनके परिजनों तक हर हाल में भिजवाने के लिए सेना द्वारा सैन्य विमानों और सभी जरूरी संसाधनों के इस्तेमाल का मानवीय आदेश भी इन्हीं के रक्षामंत्री रहते दिया गया था जिसके कारण तब से आजतक जाने कितने शहीदों के परिजनों ने अपने शहीद पुत्र का मुंह देखा है अंतिम बार…रक्षामंत्री रहते मुलायम सिंह जी ने काफी अच्छे निर्णय लिए थे सेना के जवानों के हक में, और इसके लिए सेना उनका शुक्रगुजार है…एक जन नेता को सेना में सुधार के लिए किए गए उनके कार्यों के लिए एक सैनिक होने के नाते कृतज्ञ भाव से सादर श्रद्धांजलि और नमन!

– रंजन कुमार

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