घने अंधियारों में खुद जलता तपता सूरज सा एक मुसाफिर, गरीब आदिवासिओं के मसीहा डॉ एस सी गर्ग – Ranjan Kumar

DR SC Garg
मानवता की सेवा में गरीबों के लिए खुद को पूरी तरह से समर्पित कर देनेवाले दिल्ली यूनिवर्सिटी के रिटायर्ड प्रोफेसर डॉ एस सी गर्ग की प्रेरणात्मक कहानी  आज आपको बताता हूँ !
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कुछ लोग जिंदगी में इतनी रौशनी बिखेर देते हैं समाज के लिए जिससे वे एक लीजेंड बन जाते हैं जीते जी किंवदन्ती आनेवाली पीढ़ियों के लिए ..ऐसे लोगों के सत्कर्मों और सेवाभाव लगन को देख यकीन हो उठता है “उम्मीद की किरण अभी बाकी है कहीं न कहीं ..!”
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एक निम्न मध्यम वर्गीय परिवार जिसका समाज में बड़ा सत्कार और आदर था में जन्म लेकर डॉ एस सी गर्ग ने सफलता के जो स्वर्णिम इतिहास लिखे जीवन में अपने तमाम संघर्षों के बाद भी वह अद्भुत जीवटता और संकल्प शक्ति की बेमिसाल कहानी है !
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जिस ऊँचें मुकाम तक वह पहुंचे अपने जीवन में और जिस तरह वह सदा ही जमीन से जुड़े रहे वह बहुतों के लिए प्रेरणाश्रोत हैं ! पिता जहां सिर्फ पांचवीं पास थे और माँ तो पढ़ी लिखी थी ही नहीं वहां शिक्षा की लगन  डॉ गर्ग के मन में लग गयी थी जिसे अनेक संघर्षों के वावजूद उन्होंने ठान लिया था खुद को स्थापित करना है और उन्होंने वह अंततः कर दिखाया !
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1969 में कामर्स से ग्रेजुएट होनेवाले डॉ गर्ग ने जब बीकॉम में पहला स्थान युनिवर्सिटी में हासिल किया था तो तबतक परिवार के लोग इनकी जीवटता और दृढ़ संकल्प को बहुत अच्छे से समझ चुके थे !
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फ़ूड कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया में नौकरी ज्वाइन तो की मगर डॉ गर्ग की प्रतिभा उनको कहीं और ले जाना चाहती थी ! नौकरी में मन नहीं लगा और अंततः एक कठिन निर्णय लेकर वह युनिवेर्सिटी टॉपर होने के कारण मिलनेवाली स्कॉलरशिप के भरोसे को लेकर वह एम.कॉम करने निकल पड़े !
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जाहिर है नौकरी छोड़ फिर मास्टर डिग्री की पढाई का निर्णय एक निम्न मध्यमवर्गीय परिवार के युवा के लिए सरल नहीं रहा होगा मगर अपनी जीवटता और संकल्प शक्ति के बलबूते दुनिया में जिसने कुछ बनने की न सिर्फ तमन्ना कर ली हो बल्कि एक जिद की तरह लक्ष्य के संधान की जिसकी धुन हो वह क्या हासिल नहीं कर सकता फिर ..!
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मास्टर डिग्री पूरी करते ही 1971 में नेशनल मेरिट स्कोलरशिप प्राप्त किया और 5 महीने के लिए अस्थायी लेक्चरर की नौकरी मिली जिसने डॉ गर्ग के मन में छिपे लक्ष्यों को उनके सामने जीवंत कर दिया एक ख्वाब के रूप में, उन्हें एक शिक्षक बनना था और ज्योति जलानी थी शिक्षा की ! मंजिल तो लेकिन अब भी दूर थी थोड़ी ! 5 महीने की अस्थायी लेक्चरर की नौकरी पूरी हुयी तो फिर बैंक ऑफ़ बडौदा में बैंक अधिकारी के रूप में आप नियुक्त हुए !
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शिक्षा का मन्दिर जिसकी मंजिल थी उसे क्योंकर बैंकर की नौकरी भाती भला ..?? अंतत डॉ गर्ग ने वहाँ से भी त्यागपत्र दे दिया और अपने पैशन अध्ययन अध्यापन  को कैरियर बनाने का फैसला लेकर दिल्ली का रुख किया और दिल्ली युनिवेर्सिटी में लेक्चरर नियुक्त हुए ! यहीं इन्होने अपनी डॉक्टरेट पूरी की और सेवानिवृत होनेतक दिल्ली यूनिवर्सिटी में कामर्स के सुप्रसिद्ध विद्वान प्रोफेसर के रूप में कार्य करते रहे !
बहुत सारे सुप्रसिद्ध मैनेजमेंट इंस्टिट्यूटस में विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में आप अपनी  सेवाएँ  देते रहे और ज्ञान का दीपक सदा प्रज्ज्वलित करते रहे ! डॉ गर्ग उन  दिनों को याद करते हुए बताते हैं की जब वह छात्र थे तब उन्हें शिक्षकों का बहुत प्यार मिला था और जब वो शिक्षक बने तब भी उनको उनके छात्रों ने बहुत प्यार दिया ! CBSE और SSC से भी डॉ गर्ग सलाहकार के रूप में सम्बद्ध रहे !
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जिन्दगी  की  आपाधापी के बीच मानवता के प्रति करुणा से सदा ओतप्रोत डॉ गर्ग के हृदय में इनकी सेवा का एक दृढ निश्चय और ख्वाब था जिसने मन के समन्दर में आध्यात्मिक क्रान्ति की दस्तक दी और आज डॉ एससी गर्ग सर का जीवन मानवता के प्रति ही समर्पित है पूरी तरह से !
चित्रकूट के जंगलों में अपनी पूरी पेंशन और संशाधनों को लगाकर बिना कोई एनजीओ बिना कोई सरकारी संगठन के बिना किसी दिखावे के एक मनस्वी सन्यासी डॉ एससी गर्ग सर मिल जाएंगे आपको मीलों घूमते सेवा करते उन आदिवासिओं की !
सर की कर्मभूमि बनी है श्री राम का चित्रकूट और वहां के जंगलों के आदिवासी परिवार जिनके बीच साडी कम्बल बांटते अक्सर डॉ गर्ग सर आपको मिल जाएंगे ! जहां सरकारी योजनायें अभी नहीं पहुंची जहां लोग छोटी छोटी जरूरतों के लिए भयंकर पीड़ा झेलने को अभिशप्त हैं वहाँ उनके बीच जाकर दिल्ली के अपने मकान का सारा सुख वैभव छोड़ एक कर्मयोगी गीता में वर्णित कर्मयोग को साक्षात् अर्जुन सा अपने आचरणों में उतारने को आकुल अपने पथ में अग्रसर है अपने धर्म पथ पर !
जाने कितनों की उम्मीद,कितनों के सपने कितनी मुरझाई आँखों का  ख्वाब साथ लेकर गीता में वर्णित श्री कृष्ण का एक स्थितप्रज्ञ अर्जुन सदृश भक्त आपको आज भी एक मामूली गेरुवा लपेटे आदिवासिओं के चरण छूता मिल जाएगा चित्रकूट के जंगलों में तो आपको सहसा यकीन तक नहीं होगा इनकी सरलता देखकर कि यही कामर्स के मूर्धन्य विद्वान और सुप्रसिद्ध प्रोफ़ेसर डॉ एससी गर्ग सर हैं .!
मै डॉ एससी गर्ग सर को देख बेझिझक कहता हूँ कि रौशनी की किरण कहीं न कहीं इस अंधियारे में जल रही है और घने अंधियारे में भी उम्मीद अब भी बाकी है मानवता ज़िंदा है इनसे जो अपना सर्वस्व दूसरों पर लुटाने को आतुर हैं !
डॉ एससी गर्ग सर जैसे लोग धरती पर विरले लोगों में से हैं और ऐसे विरले व्यक्तित्व का मुझको अभिभावक के रूप में संरक्षण प्राप्त है तो खुद को बड़ा सौभाग्यशाली समझता हूँ !
बड़ी मुश्किल से सर की अनुमति ले इसे ब्लॉग पर पोस्ट कर रहा हूँ जिसका उद्देश्य मात्र इतना है कि इस सेवा भाव से अनेक लोग अभी प्रेरित हो सकते हैं तो वह इस महामानव के जीवन से प्रेरणा ग्रहण कर  सकें !
– रंजन कुमार 
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Ranjan Kumar
Ranjan Kumar

Founder and CEO of AR Group Of Institutions. Editor – in – Chief of Pallav Sahitya Prasar Kendra and Ender Portal. Motivational Speaker & Healing Counsellor ( Saved more than 120 lives, who lost their faith in life after a suicide attempt ). Author, Poet, Editor & freelance writer. Published Books : a ) Anugunj – Sanklit Pratinidhi Kavitayen b ) Ek Aasmaan Mera Bhi. Having depth knowledge of the Indian Constitution and Indian Democracy.For his passion, present research work continued on Re-birth & Regression therapy ( Punar-Janam ki jatil Sankalpanayen aur Manovigyan ).
Passionate Astrologer – limited Work but famous for accurate predictions.

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