उधार का तेल
और उधार की ही
बाती है तेरे पास ,
तू बस टिमटिमाता रह !!
मैं मशाल हूँ
जितनी भी देर जला
बस जलूँगा,
और भरपूर रौशनी दूंगा !
मर मिटने से पहले
इस घने कोहरे को
भी चीरने का ,
हुनर मुझको आता है !!
मै जलूँगा तो नूर बिखरेगा,
महमहा जाएंगी
सब दिशाएं एकबारगी,
मेरे बुझने तक !!
– रंजन कुमार
और उधार की ही
बाती है तेरे पास ,
तू बस टिमटिमाता रह !!
मैं मशाल हूँ
जितनी भी देर जला
बस जलूँगा,
और भरपूर रौशनी दूंगा !
मर मिटने से पहले
इस घने कोहरे को
भी चीरने का ,
हुनर मुझको आता है !!
मै जलूँगा तो नूर बिखरेगा,
महमहा जाएंगी
सब दिशाएं एकबारगी,
मेरे बुझने तक !!
– रंजन कुमार