यह कोंग्रेस युक्त बीजेपी कर के ही सत्ता में बने रहना है तो बीजेपी के कर्मठ नेताओं को सोचने की जरूरत है,इस पार्टी में उनका भविष्य क्या है फिर ..? और कोंग्रेस में रहते वही सिंधिया वही सचिन पायलटने कितने भाषणों में मोदी की किन शब्दो मे आलोचना की वह सब अब अवसर की ताक में सभी लालची कोंग्रेसी मोदी भक्त हो जाते हैं तो उन बेचारे नेताओ का क्या जो शुरू से ही मोदी मोदी किये जा रहे और जिनके श्रम से बीजेपी यहाँ तक पहुँची!
दल बदलुओ के भरोसे बीजेपी को सत्ता चाहिए तो यह भी सोचने की जरूरत है कि व्यवस्था नही बदलेगी क्योंकि जो कल कोंग्रेसी था वही अब भाजपाई है और कल को सत्ता परिवर्तन होते ही फिर कोंग्रेसी बन सकता है!
नेताओं का हृदय परिवर्तन घोर अनैतिक आचरण है और ऐसे नेताओं के भरोसे बीजेपी का भविष्य है तो बीजेपी का जितना उत्थान हो सकता था हो चुका अब पतन की बारी है,और यहीं से पतन की शुरुआत भी होगी!
कल तक कोंग्रेस का झंडा थामने वाला अगर गाली खाने योग्य था सब भाजपाई गाली देते थे भाषणों में तो फिर उसे बीजेपी का झंडा थामते ही उसपर पुष्प वर्षा करने वाले बीजेपी के नेताओ कार्यकर्ताओ को यह भी स्पष्ट करना चाहिए कि सारे फसाद की जड़ केवल झंडा है ? भ्रष्टाचार क्या ये केवल झंडे करते हैं या झंडा थामे व्यक्ति ?
एक रिपोर्ट में पढ़ने को मिला,वर्तमान संसद में बीजेपी के सांसदों में 167 ऐसे हैं जो पूर्व कोंग्रेसी है ! अगर यह आँकड़े सही हैं तो बीजेपी की सफलता जो आज दिख रही वह असली सफलता नहीं है,केवल जोडतोड़ और अवसरवादी गुणा भाग के गणित का परिणाम है और ऐसे अवसरवादी गणितज्ञों की नीतियाँ दीर्घकालिक लाभ नहीं देती कभी राजनीतिक रूप से..!
एक वोट से अटल जी की सरकार गिरी थी पर उनकी नैतिकता थी कि उन्होंने इसे मैनेज करने के कोई प्रयास नही किये थे!
बीजेपी तभी अच्छी और भली लगती थी जब इतनी नैतिक थी..अब बीजेपी में यह नैतिकता नहीं तो बीजेपी और अन्य दलों में भी कोई अंतर नहीं …सब एक ही थाली के बैगन हैं फिर …!
– रंजन कुमार