दलबदल कानून तुरन्त बदलने की जरूरत है,अगर लोकतंत्र में पारदर्शिता बनाए रखना है और खरीद फरोख्त की अनैतिक परदे के पीछे चलने वाले खेल को खत्म करना है!
जैसे ही किसी निर्वाचित प्रतिनिधि द्वारा दल बदला जाता है अविलम्ब उसकी सदस्यता भी खत्म की जानी चाहिए और पुनः जनादेश लेने के लिए उसे चुनाव में भेजना चाहिए अथवा दूसरे नम्बर पर चुनाव में आए उम्मीदवार को अगले चुनाव तक सदन में सदस्य नियुक्त किया जाना चाहिए और दल बदल करने वाले को अगले चुनाव में जा जनादेश नया लेने तक प्रतिबंधित किया जाना चाहिये !
दल बदलू हों या वो जो कहते हैं उनका हृदय परिवर्तन हो गया और ये हृदय परिवर्तन वाले ,,इन सबको दल बदलते ही अयोग्य घोषित कर पुनः चुनाव में जनमत लेने भेजना चाहिये और वह भी तब जब आम चुनाव हो ! तबतक दूसरे नम्बर पर आए को जन प्रतिनिधि नियुक्त कर देना स्वस्थ लोकतंत्र की एक मजबूत शर्त हो सकती है अगर यह कानून बने !
कुछ बिकाऊ नेताओं ने लोकतंत्र को कमजोर किया है भारत में, और छवि भी संसदीय लोकतंत्र की इससे गन्दी हो रही है !
– रंजन कुमार