टीवी चैनल पे आकर सेना की प्लानिंग, स्ट्रेटेजी डिसकस करते पूर्व सैनिकों पर इस तरह सेना की योजनाएं डिस्कसन करने पर अविलम्ब प्रतिबंध लगाया जाए..!
टीवी उद्योग के लिए यह सबसे मसालेदार डिबेट है और उनको टीआरपी मिल रही है लेकिन सेना में रहते हुए जब आप डिसिजन्स लेते थे तब कोई आपकी प्लानिंग स्ट्रेटेजी पर ऐसे ही मीडिया में कोई डिस्कसन करता था क्या ..?
तो आज किसने अधिकार दिया कि वर्तमान सैन्य अधिकारियो की प्लानिंग स्ट्रेटेजी पर बैठकर रोज आप टीवी एंकरों के भांड बनकर जी हुजूरी करें और उनको बॉर्डर के हालात समझाएँ घण्टो ..? क्या जरूरत है इसकी ..?
जो कानून के दायरे में नही आता वह नैतिकता के दायरे में आता है और बार बार 62..65 …71 के अपने सैन्य अनुभवों का पिटारा खोलकर उसका प्रदर्शन न करें पूर्व सैनिक !
तब और अब में बहुत परिवर्तन हो गए हैं हालात में और जो आज की पीढ़ी सेना में है वह अपनी प्लानिंग करने में सक्षम है, कोई आपको सलाह देनी है तो उचित गोपनीय माध्यमों से भेजिए,, टीवी चैनलों के एंकरों के साथ बैठकर तमाशा मत बनाइए सेना का सेना की कार्यशैली का यह विनम्र निवेदन है !
– रंजन कुमार