यादों को सिरहाने रख देता हूँ ,
ले जाना जब फुरसत पाओ !
क्या पता मै खोया हूँ ख्वाबों में,
मुझसे मिलने जब तुम आओ !!
मुझको सोते से नहीं जगाना ,
मै वक़्त की लोरी सुन सोया हूँ !
तुमको ये लोग बता देंगे
पाया क्या,और क्या क्या खोया हूँ !!
राहें तकते बीत गए युग ,
मुंदी न पलकें पल भर को भी !
अब चिर निद्रा है तुम आये हो,
आना था तुमको भी अब ही ?
– रंजन कुमार