Hindi Love Poem : खुश्बू तेरी आयी है या कोई गुलिस्ताँ है यहाँ – Ranjan Kumar

 
balloons in the air
 
खुश्बू तेरी आयी है
या कोई गुलिस्ताँ है यहाँ ?

नज़ारे बहके बहके हैं
हवाएं महकी महकी हैं !

नया कुछ होनेवाला है
मेरा दिल ये कहता है ,

परिंदे चहके चहके हैं
घटायें बहकी बहकी हैं !

बड़ा रंगीन है मौसम ,
बड़ी मादक हवाएं हैं ..

तेरी जुल्फों की खुश्बू सी
यहाँ सुरभित फिजाएँ हैं !

अभी फूलों की झुरमुट से
निकल आएगी तू पल में ..!

लिपट जाएगी तू आकर ,
मुझें कहती घटायें  हैं ..!

white flowers
 
 
मै हूँ मदहोश होता अब ,
लो अपना होश खोता अब ..

सुरों ने तान क्या छेड़ा ..
सितारे सहके सहके हैं !

नया कुछ होनेवाला है
मेरा दिल ये कहता है ,

परिंदे चहके चहके हैं
घटायें बहकी बहकी हैं !

खुश्बू तेरी आयी है
या कोई गुलिस्ताँ है यहाँ ?

नज़ारे बहके बहके हैं
हवाएं महकी महकी हैं !!

 
– रंजन कुमार

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Ranjan Kumar
Ranjan Kumar

Founder and CEO of AR Group Of Institutions. Editor – in – Chief of Pallav Sahitya Prasar Kendra and Ender Portal. Motivational Speaker & Healing Counsellor ( Saved more than 120 lives, who lost their faith in life after a suicide attempt ). Author, Poet, Editor & freelance writer. Published Books : a ) Anugunj – Sanklit Pratinidhi Kavitayen b ) Ek Aasmaan Mera Bhi. Having depth knowledge of the Indian Constitution and Indian Democracy.For his passion, present research work continued on Re-birth & Regression therapy ( Punar-Janam ki jatil Sankalpanayen aur Manovigyan ).
Passionate Astrologer – limited Work but famous for accurate predictions.

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