सभी मित्रों के लिए नए कैलेंडर वर्ष की हार्दिक मंगलमय शुभकामनायें .. स्वर्गीय श्री राजीव चतुर्वेदी सर की कलम से निकली यह रचना पढ़ें जो उन्होंने मुझे भेजी थी शुभकामना नववर्ष 2014 के लिए .. सादर नमन सर!

Aartnaad

मानवाधिकारों पर स्वर्गीय श्री राजीव चतुर्वेदी सर की लिखी अद्वितीय पुस्तक है ” आर्तनाद ” जो उन्होंने बड़े ही प्यार से मुझे  मिलने पर दिया था .. बहुत कुछ जो आपने मुझसे लिखवा दिया सर पिछले सालों में .. बार बार टोक कर बार बार प्रेरित कर .. अभी ये सब लिखा हुआ आना बाकी था उसके पहले ही आप साथ छोड़ गए .. लिख तो मैं पहले भी रहा था पर आपने दशा और दिशा बदल दिया .. “दीपावली के दिन बात करूँगा फिर आपसे तबतक आप स्वस्थ हो लें .. कोई बहाना नहीं चलेगा .. कई टॉपिक्स दूंगा .. प्रबुद्ध प्रकाशन में मेरे बाद आपकी बुक सोच रहा हूँ ..”

आखिरी शब्द थे मेरे लिए ये आपके .. अक्टूबर 2015 में और बस कुछ दिन बाद ही इस बातचीत के ..वो सदा के लिए विदा लेकर चले गये इस दुनिया से संदेहास्पद परिस्थितिओं में.. वह दीपावली तो अब कभी नहीं आएगी.. मगर मानवाधिकारों की ये बात मुझे आगे तो लेकर जाना ही है.. अन्य कोई मार्ग अब नहीं.. आपकी शेष स्मृतियाँ प्रेरणा हैं बस.. जो भी स्नेह आपने दिया था उसके लिए शुक्रगुजार हूँ.. आपसे जो भी सीख और अच्छाई मिली उसे भर लिया आत्मसात कर लिया..

आपकी मौत के बाद अनेक विवादास्पद बातें भी सामने आयीं मगर मेरा सरोकार सिर्फ एक उम्दा साहित्यकार के आपके परिचय से था इसलिए बिजनेस की दुनिया में आप क्या थे क्या किये क्या सच क्या झूठ इनसे नहीं है .. क्योंकि मै इनका सच नहीं जानता .. जो भी अच्छाई मिली आपसे वह सब ग्रहण कर लिया .. सफ़र है तो चलना आगे नियति भी .. सादर नमन और  श्रद्धांजलि आपके अंदर के एक उम्दा साहित्यकार को !

” समय की बहती नदी 
के किनारे बैठ कर
मैंने लिखी शुभ कामना तुमको..

पानी में उंगलीयों से कई बार,

दिए भी तैराए थे मेने..
भाग्यवश भागीरथी मिल जाएँ तुमको
पूछ लेना
मैं विकल्पों की विवशता का वास्ता क्या दूं ?

मैं तो संकल्पों का सिपाही,
समय की बहती नदी के किनारे बैठ कर
मैंने लिखी शुभ कामना तुमको ..
 
सूर्य सा दहके तुम्हारा साल,
शौर्य से दहके तुम्हारा भाल,
चिड़ियों सा चहके तुम्हारा घोंसला,
फूल सा महके तुम्हारा प्यार,
और बढ़ता जाए तेरा हौसला ! ” 
 
(- स्वर्गीय श्री राजीव चतुर्वेदी सर द्वारा प्राप्त व्यक्तिगत मेसेज 2015 का )
– रंजन कुमार 

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