महाराष्ट्र में क्या अब वक्त सबका न्याय करने पर आमादा है?

महाराष्ट्र में जो हुआ उससे मुझे बहुत खुशी हो रही है और प्रकृति के इस अद्भुत खेल और न्याय पर भरोसा और दृढ़ हो रहा है…

दो संतो की बेबसी लाचारी और पालघर में उनकी हत्या…मुख्यमंत्री थे उद्धव ठाकरे,, सत्ता मद में चूर..अर्णव गोस्वामी पर खुलेयाम गुंडई,,और फिर दिशा सालियान और सुशांत की हत्या…सरकार का एरोगेंस और न्याय का क्रूर मजाक उड़ाते हुए दमन…

वक्त पलटा,,शिवसेना विधायक बिक गए,,विद्रोह हुआ और पहले उद्धव की सत्ता गयी और अब शिवसेना का पैतृक मालिकाना हक भी खत्म,चुनाव चिन्ह भी खत्म,,रसूख और इज्जत तो खैर तभी खत्म हो गया था जब मुख्यमंत्री बनने के लिए चुनाव पूर्व अपने एलायंस पार्टनर बीजेपी से अलग हो सिद्धान्त हीन गठबंधन किया था और फिर ऊपर गिनाए गए पाप ये करते रहे….

सत्ता का मद खत्म,,पार्टी प्रमुख होने का मद खत्म,,समय ने खेल का हिसाब कर दिया…

तो क्या खेल खत्म और हिसाब हो गया सब प्रकृति का ..??

नहीं जरा रुकिए जनाब…अब उनका हिसाब भी बाकी है जिन्होंने विधायक खरीदे,,सरकार तोड़ी अपनी सरकार बनायी…तो आप कहेंगे उनका हिसाब क्या हुआ ..??

हुआ नहीं है आगे होगा…एकनाथ शिंदे जिसके पास असली शिवसेना का लाइसेंस है अब,,संख्या बल है विधायकों का,, जिसके साथ बीजेपी गठबंधन में है अभी उसका कोई जमीनी जनाधार नहीं है !ये अगले चुनाव में ताश के बनाए महल साबित होंगे !

एनसीपी,कांग्रेस और उद्धव ठाकरे के गठबंधन में ये लोग ये गठबंधन बाजी मारेगी ये लगभग तय मानिए…इस खेल का असली न्याय ही तब होगा जब अपने बुने जाल में अब बीजेपी खुद भी फंसेगी महाराष्ट्र में और लोकसभा से लेकर विधानसभा तक महाराष्ट्र में ये बुरी तरह पराजित होंगे…और यह होगा इसकी 90% से ज्यादा संभावना है उद्धव को सहानुभूति वोट मिलेगा बाला साहब के बेटा होने के नाम पर ..!!

शिंदे गुट की आज की असली शिवसेना खुद भी डूबेगी और बीजेपी को भी डुबाएगी..!!

आधा न्याय उद्धव वाले पार्ट का हो गया,,बीजेपी वाले पाप के पार्ट का न्याय आगे होगा…कोई नृप होए हमे का हानि वाला हिसाब है अपना तो…बस,न्याय होते देख खुशी होती है…ना काहू से दोस्ती ना काहू से बैर…!!

रंजन कुमार 19 फरवरी 2023

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