लरजती होठों की जुबानी
आज सब कहानी कह दो ,
तैरता दरिया है जो आँखों में
उस मस्ती की रवानी कह दो !
खामोशियाँ बिखरी हैं अभी
उन्हें पलकों से चुनचुन कर ,
कैसे सम्भाली थी इश्क की
वह दरिया तूफानी ..कह दो !!
आज सब कहानी कह दो ,
तैरता दरिया है जो आँखों में
उस मस्ती की रवानी कह दो !
खामोशियाँ बिखरी हैं अभी
उन्हें पलकों से चुनचुन कर ,
कैसे सम्भाली थी इश्क की
वह दरिया तूफानी ..कह दो !!
– रंजन कुमार