अमेरिका के एक अरबपति सोरोस ने अडानी हिडेनवर्ग और भारत की सरकार को लेकर कुछ दुर्भाग्यपूर्ण कमेंट किया है इसका विरोध करते हैं किया भी जाना चाहिए,,ये हमारा मसला है हम इससे निपटेंगे…सोरोस कोई अमेरिका के राष्ट्रपति नहीं जो उनकी बातों पर इतनी प्रतिक्रिया दिया जाए… एक सवाल है लेकिन मन में,,भारत के प्रधानमंत्री पद पर बैठे व्यक्ति को एक दूसरे देश के लोकतंत्र में डायरेक्ट अपने आधिकारिक यात्रा पर देश के पीएम रहते हुए जाकर हस्तक्षेप का अधिकार कैसे था …अबकी बार ट्रंप सरकार
तब इसकी निंदा करने कौन कौन आया था ..?? सरकार के मंत्री जो कहने आ रहे ये आंतरिक मामले में हस्तक्षेप है वो तब भी कुछ बोलने आए थे क्या ..?? उसकी भी खूब निंदा होनी चाहिए थी,क्योंकि वह एक दुर्भाग्यपूर्ण और राजनीतिक रूप से बहुत ही अनमैच्योर स्टेटमेंट था …भारत जैसे बड़े लोकतंत्र के पीएम पद पर बैठे व्यक्ति द्वारा दूसरे देश के वोटर्स से ये अपील ……?? ये उनके देश में हस्तक्षेप नहीं था क्या ..?? भारत में एक बड़े संवैधानिक पद पर बैठा नेतृत्व ऐसा दखल दूसरे देश के लोकतंत्र में कैसे कर सकता है भला ..??
उसी दिन से अपना तो मोहभंग हो गया था बीजेपी के इस नेतृत्व से जिसे बड़ी उम्मीदों से दो दो बार वोट दिया गया था पूर्ण बहुमत की सरकार दी गई थी और जिसपर ये जिम्मेदारी वह इतना अन मैच्योर कैसे भला …?? अब देखना है बीजेपी पीएम पद के उम्मीदवार को अपने बदलती है खुद 2024 चुनाव से पहले अडानी कांड के बाद या फिर इन्हें जनता हिमालय तक छोड़ के आएगी 2024 के बाद या फिर अगले 5 साल 2024 के बाद फिर से जुमलों के गन्ने उगाएंगे हम सब ऐसे ही,,यही नियति है …??
सब भविष्य के गर्भ में है …फिलहाल अरबपति सोरोस की निंदा करते हैं,,ये भारत का आंतरिक मामला है ….
– रंजन कुमार 18 फरवरी 2023