अँधेरे से लड़ते
छोटे दीप को कहा मैंने ,
मुश्किल है लड़ना
अँधेरे से ,
हार जायेगा तू !
“अस्तित्व की लड़ाई है यह ,”
वह छूटते ही बोला ..!
“और जितनी भी देर जलूँगा
प्रकाश दूंगा ..!
ख़त्म होने से पहले
कुछ और को
जलना सिखा जाऊंगा ..
जलना सिखा जाऊंगा ..
अँधेरे से लड़ना
सिखा जाऊंगा ..!
सिखा जाऊंगा ..!
इस तरह से रात कट जायेगी
और सूरज चमक उठेगा ! “
सोचता हूँ मै …
यही दर्शन सरल है ,
हम सब जलें बस इस दिए सा
हम सब जलें बस इस दिए सा
और फिर निकलेगा सूरज !!
– रंजन कुमार