तुझे नंगा सच पसंद नहीं ,
और मुझे …
रेशमी जुमलों में लिपटा झूठ !
छोड़ो यार..
ये रोज रोज का ताना बाना ,
इस दोस्ती की बुनियाद
बहुत जर्जर है ,
अब विपरीत दिशा में
अपनी मंजिलें तलाशते हैं ,
साझे का महल
सुकून नहीं दे सकता !!
– रंजन कुमार
तुझे नंगा सच पसंद नहीं ,
और मुझे …
रेशमी जुमलों में लिपटा झूठ !
छोड़ो यार..
ये रोज रोज का ताना बाना ,
इस दोस्ती की बुनियाद
बहुत जर्जर है ,
अब विपरीत दिशा में
अपनी मंजिलें तलाशते हैं ,
साझे का महल
सुकून नहीं दे सकता !!
– रंजन कुमार