
धृतराष्ट्र और गांधारी
की संतानें
आईना देखना नही जानती थीं
एक वाहियात चीज थी आईना
उनके लिए
क्योंकि अंधे धृतराष्ट्र ने
कभी आईना देखा न था
और अंधे के प्रेम मे अंधी बनी
पाखण्डी गांधारी ने
अधत्व ओढ़ आईने को
त्याग दिया था …
आईना देखने की आदत होती
तो दाग धब्बे और आत्मा की मैंल
चेहरे पर देख पाते कौरव अपने
आईने मे उतर कर ..
अफसोस दोनो अन्धो ने
आईने की उपयोगिता ही नही बताई
जो सर्वनाश का कारक बना आखिर ..
आधुनिक धृतराष्ट्र की औलादों
आईने मे हो सके तो
खुद को निहार लो एक बार ..
नही तो परवरिश की इस कमी का अंजाम
सर्वनाश है यह तय समझ लो..
आईना कभी झूठ नही बोलता
असली औकात दिखा
स्वयं से मिला देता है …
सुंदर जीवन प्रस्फुटित हो
इसकी यही एकमात्र तरकीब है ..!!
रंजन कुमार