दामाद बाबू की जेब के करारे नोट और पसाकोलोजिया के पप्पा की उनपर नजर – Part 02

Indian Currency

पराजित मिश्र ने ठान लिया दामाद बाबू की जेब से कुछ रुपया जरुर निकालेंगे अब ..ऐसा ससुर कहीं देखा न होगा  किसी दामाद ने आजतक  जैसा पसाकोलोजिया के पप्पा हैं ..!

पराजित मिश्र आंगन में पहुंचे तो घड़ी में अब साढे चार बज रहे थे और इसी बीच में कमरे का दरवाजा खुला तो पराजित मिश्र छुप गये दरवाजे के पीछे .. मतलब यह कि किस्मत भी साथ दे रहा था इनका .. पसाकोलोजि भौजी हमरी निकली थी उस वक्त पानी पीने और बाथरूम  जाने के लिए .. पराजित मिश्र समझे की भोर हुयी तो पसाकोलोजि बिटिया अब कमरे से चली गयी .. बहुते संस्कारी है .. कभी कभी खुद ही संशय में पड जाते हैं पराजित मिश्र …हमारी ही बेटी है न इ ..इतना संस्कारी कैसे ..?? भोर होते ही देखो तो कमरे से भाग गयी मुंह अँधेरे में ही .. और दामाद बबुआ तो अभी सो रहे होंगे .. कोई देखेगा भी नहीं … तो वह घुस गये अंदर .. खूंटी  में टंगी दामाद बबुआ की जींस उतारी और अभी बटुआ हाथ में लिया ही था कि पसाकोलोजि बिटिया के आने की आहट  हुयी तो पप्पा को कुछ समझ नही आया और पराजित मिश्र घुस गए पलंग के नीचे जींस और बटुए के संग …!

सोचकर तो यह घुसे थे कि जैसे ही पसाकोलोजि की आँख लगेगी वह चुपके से दबे पाँव वापस निकल जायेंगे मगर अक्सर वह हो जाता है जो सोचा भी नहीं .. हाय रे मेरे दुर्दिन .. कहां फँस गये आकर .. मन ही मन पराजित मिश्र बुद्बुदाने लगे .. पलंग के नीचे सांस रोके पराजित मिश्र पलंग के उपर उस वक्त गुजर रहे तूफ़ान के थमने का इन्तजार कर रहे थे .. चरर मरर चरर मरर करते पलंग की आवाज कान को फाड़े डाल रही थी  और अंदर ही अंदर आशंकित था मन पराजित मिश्र का .. कहीं पलंग ही तोड़ न डाले हमारा ये अपनी घुड़सवारी में ..! आखिर घुड़दौड़ यह खत्म हुयी और पराजित मिश्र को अब थोड़ा सुकून हुआ पलंग के नीचे उकडूँ बैठे थे बेचारे तबसे .. हचर मचर चरर मरर की कानफोडू आवाज आनी बंद हुयी मगर दुर्भाग्य ने अब भी पीछा न  छोड़ा .. अब  दामाद बाबू उठ गये और अपनी जींस लगे तलाशने .. नही दिखी वहाँ खूंटी में तो पसाकोलोजि ने कमरे की बत्ती ही जला दी अब .. जींस  तो न वहाँ थी न मिलनी ही थी ..और दामाद बबुआ खोजे जा रहे हैं उसको पहनने के लिए अभी …जिसको पराजित मिश्र पलंग के नीचे लिए बैठे हैं ..! देखिये तो कहीं पलंग के नीचे तो नहीं गिर गया .. कहीं भूल से टांगी न हो खूंटी में … पसाकोलोजि बोली अब पति से अपने तो पराजित मिश्र खिसिया गये खूब मन ही मन .. बड़ी काबिल बनती है इ-पसाकोलोजिया .. हमको फंसा के ही मानेगी यह .. तभी दामाद बबुआ नीचे झुके पलंग के नीचे झाँकने अपनी जींस देखने और खूब जोर से चिल्लाये …अरे बाप रे बाप ..” मईओ गे मइओ” .. भूत भूत भूत … कहते हुए दामाद बबुआ तो बेहोश ही हो गये ..और लुढक गये जमीन पर ..! पसाकोलोजि उठाने आई दौड़ के अपने बुढऊ पति को …हाय राम इ क्या हो गया ..तो पराजित मिश्र से नजर मिली उसकी जो बिलार की तरह एकटक ताके जा रहे थे .. खूब जोर से चिचियाई और चिचियाते हुए बाहर भागी कमरे के पसाकोलोजि भौजी ..! दरवाजा खोलते ही घर में माजूद सभी लोग अब एक एक कर  कमरे में आने लग गये ! किसी को माजरा समझ नहीं आ रहा था पूरा .. पलंग के नीचे जडवत वैसे ही बैठे थे अभी पराजित मिश्र …जिनकी हाथ में जींस और बटुआ था दामाद का .. और दामाद बाबू .. जमीन पर गिरे हुए थे सिर्फ एक कच्छे में बेहोश .. भयभीत  … वह दामाद जो कल ही रात को गाँव वालो के बीच रौब झाड रहा था अपना पढ़ाई का दालानी में  .. भूत-प्रेत सब वहम होते हैं .. अभी भूत-भूत चिल्ला के बेहोश हो गये .. सबने दालानी तक आवाज सुनी … पसाकोलोजि भौजी सब समझ गयी और जब पराजित मिश्र के पप्पा ने पूछा आकर की हुआ क्या तो पसाकोलोजि भौजी ने बाबा को इशारा कर दिया पराजित मिश्र की तरफ ..! बहुते ही समझदार हैं पसाकोलोजि के दादा और बहुत ही बडे  पत्नी भक्त भी हैं ,जोरू के गुलाम मुहावरा शायद इन्हीं पर बना है जबसे दूसरा शादी किये हैं गजबे बदल गये हैं ये .. वो खुद ही कहते हैं दूसरी बीबी नाक की फूसरी होती है उसको सहलाते ही रहना अच्छा है हाँ .. बोले पसाकोलोजिया के बाबा .. देखो गोतिया में खबर न लगे इ हाँ .. ध्यान रखिओ रे सब .. गाँव में न जाने कोई यह .. गोतिया में उडती खबर भी न पहुंचे .. और मेहमान को पानी मारो मुंह पर या जूते सुंघाकर होश में लाओ .. डोक्टर नही बुलाएंगे हाँ .. और तुम रे पराजित मिश्र … आओ बाहर निकल अब तो हम सोंटे तुमको .. कर का रहा तुम यहाँ पर रे हरामखोर ..पलंग के नीचे …बेटी दामाद के कमरे में ..??

 
 
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क्रमशः जारी
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पढ़ते रहिये उपन्यास
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Ranjan Kumar
Ranjan Kumar

Founder and CEO of AR Group Of Institutions. Editor – in – Chief of Pallav Sahitya Prasar Kendra and Ender Portal. Motivational Speaker & Healing Counsellor ( Saved more than 120 lives, who lost their faith in life after a suicide attempt ). Author, Poet, Editor & freelance writer. Published Books : a ) Anugunj – Sanklit Pratinidhi Kavitayen b ) Ek Aasmaan Mera Bhi. Having depth knowledge of the Indian Constitution and Indian Democracy.For his passion, present research work continued on Re-birth & Regression therapy ( Punar-Janam ki jatil Sankalpanayen aur Manovigyan ).
Passionate Astrologer – limited Work but famous for accurate predictions.

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