यह राजनीति का भी संक्रमण काल है, सिर्फ गुमराह करने की राजनीति करने में लगे हैं सारे दल!कोई नेता भरोसेमंद नहीं यह इस वक्त की सबसे बड़ी सच्चाई है!
जननेता काल के गाल में समा चुके हैं और सिर्फ गाल बजानेवाले लोग आज राजनीति में नेतृत्व के नाम पर बचे हैं चाहे सत्ता पक्ष की बात हो विपक्ष की!
इतना दिशाहीन समाज क़भी नही हुआ था जितना अभी के वक्त है! काल खण्डों में महाकाल की लीला क्या है आगे यह समझने का प्रयास करना दिलचस्प है.. इस शून्यता के आगे क्या घटित होगा ..?
प्रकृति बदल रही है वक्त बदल रहा है,इस पटल पर क्या बदलेगा देखना होगा आगे ..!
रंजन कुमार