रिश्तेदारी टैक्स : जिसकी कोई मियाद नहीं, कोई वक़्त मुक़र्रर नहीं – Ranjan Kumar

rishtedari tax
 
कई प्रकार के सरकारी टैक्स जमा करने की तो आदत सी हो ही गयी है हम सबको, लेकिन इसके साथ एक गैर सरकारी अर्थात प्राइवेट टैक्स भी है जो जीवन भर चुकाना पड़ता है वह है रिश्तेदारी टैक्स ..!
 
इसकी कोई मियाद नहीं, कोई वक़्त मुक़र्रर नहीं,जब जिसको जितनी जरूरत होगी वह आयेगा और बड़े प्यार से अपने हिस्से के बराबर का भाग वसूलकर चलता बनेगा,खबर भी नहीं लगेगी तुरंत कि कोई टैक्स अदा करना पड़ा !
 
एक ख़ास नजाकत होती है एक ख़ास अदा होती है जिसमे उलझ उलझ मुस्करा मुस्करा लोग इस टैक्स को अदा करते जाते हैं बिना सामने कोई शिकवा शिकायत किये ! यही इस टैक्स की नियम और शर्तें हैं !
 
अब फूफा जी की बहू की इसी साल ब्याही लडकी को शहर के  गाइनोकोलोजिस्ट को दिखाने का मसला हो या मौसी के छोटके देवर का दूर का मौसेरा ससुर बहुत बीमार हो,पडोस वाली मुंहबोली चाची के मायके में उनकी जान पहचान में कोई बीमार हो अथवा मामा जी  के चचेरे साले की बिटिया की जेठानी शहर के अस्पताल में दिखाना चाह रहीं हों ..ये सब रिश्तेदारी टैक्स के इंस्पेक्टर हैं जनाब ..क्या पता कब कौन धावा बोल दे पूरे दल बल के साथ !
 
ये तो महज कुछ उदाहरण भर हैं जो हमने गिनवाए हैं उपर,रिश्तेदारी टैक्स के अनेक अनेक इंस्पेक्टर घूम रहे आपके चारो ओर ..! तैयार रहिये हर-कदम रिश्तेदारी टैक्स चुकाने के लिए,यहाँ कोई छूट नहीं होती कोई रिफंड नहीं है ..यहाँ तक कि बमुश्किल एक थैंक्स भी मिल जाए और आपकी खातिरदारी में कोई कमी न निकाली जाय अगले छः महीने तक किसी रिश्तेदारी में तो समझ लीजिये ..आप एक बहुत ही अच्छे टैक्स पेयर हैं रिश्तेदारी टैक्स के !

अब एक खरी खरी बात हमनें कह दी क्योंकि लोग इसे चुपके से आकर हमसे काउंसलिंग सेशन में बताते हैं खुलकर कह नहीं पाते उनसे जिनसे यह कहना और मुक्त होना जरूरी है ! 


ना कहना भी सीखिए जहाँ आवाश्य्क्क हो ! रिश्ते जरुर निभाएं लेकिन जब कोई रिश्ता बोझ लगने लग जाय तो घुट घुट कर  निभाते जाने के बजाय स्पष्टवादी बनें तब जीवन सुखमय होगा और आपको कभी इसका अफ़सोस नहीं होगा कि मेरा किसी ने इस्तेमाल कर लिया ! 


कुछ लोग जीवन में केवल रिश्तों के नाम पर अपना उल्लू सीधा करते हैं और ऐसे लोगों को यह रिश्तेदारी टैक्स न दें ,पहचाने इनको और दूरियाँ बनाएं ! इस आलेख के लिए मुझे गालियाँ बहुत पड़ेंगी ऐसे लोगों की,मगर मै सच कहने लिखने के लिए ही इनके बीच बदनाम भी हूँ ! बिना लाग लपेट के खरी खरी कह दी हमने और आपने सुन लिया ! जो उचित लगे करिये हुजूर ..रिश्तेदारी टैक्स तो आपको ही देना है !
 
– रंजन कुमार 
 
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Ranjan Kumar
Ranjan Kumar

Founder and CEO of AR Group Of Institutions. Editor – in – Chief of Pallav Sahitya Prasar Kendra and Ender Portal. Motivational Speaker & Healing Counsellor ( Saved more than 120 lives, who lost their faith in life after a suicide attempt ). Author, Poet, Editor & freelance writer. Published Books : a ) Anugunj – Sanklit Pratinidhi Kavitayen b ) Ek Aasmaan Mera Bhi. Having depth knowledge of the Indian Constitution and Indian Democracy.For his passion, present research work continued on Re-birth & Regression therapy ( Punar-Janam ki jatil Sankalpanayen aur Manovigyan ).
Passionate Astrologer – limited Work but famous for accurate predictions.

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