
हमारी #पसाकोलोजि_भौजी के गांव में दुर्गापूजा दीपावली और छठ मनाने के लिए गांव के बहुत से लोग जो कहीं बाहर रह रोजी रोजगार कर रहे थे परिवार संग बाहर थे वो सब गांव आए हुए हैं तो अभी खूब रौनक बनी हुई है पुनपुन किनारे ..! कल शाम को ऐसे ही गांव से बाहर शहर में रह रही बाहर से आई कुछ गांव की भौजाईयां और कुछ गोतिया की पसाकोलॉजी भौजी की भौजाईयों के बीच बहस छिड़ गया…बहस का मुद्दा जबरदस्त था…पसाकोलॉजी मैयाँ का पति, बुड्ढा भतार आखिर कितना बुड्ढा है…एक ने कहा कि उनके पिता जी पराजित मिसिर से बड़का हैं उम्र में तो दूसरे ने कहा हम सुने हैं कि पैसाकोलॉजी के दादा मास्टर रामाधार से भी उम्र में बड़का है पसाकोलॉजी मैयाँ के #फरोफ्रेसर पति…
अभी इसका फैसला हुआ भी नहीं था कि बहस का मुद्दा बदल गया…एक ठो भौजी तो कहने लगी एकदम से चैलेंज कर के पसाकोलॉजी मैयाँ का पति फरोफ्रेसर भी नहीं है, फुआ उसरी वाली झूठ फैलाई थी और वही झूठ को पराजित मिसिर की बेटियां सब गांव भर में गाते घूम रही थी….
गोतिया वाली भौजी ने गांव वाली भौजी के इस खुलासे पर हैरानी जताते हुए कहा,तुमको कैसे पता ये सब …? हम सब भी यही जानते हैं कि फ्राफ्रेसर हैं रिश्वत दे के लगे हैं,वाइस चांसलर की बीबी के चापलूसी करते करते बुढ़ापा में लगे हैं लेकिन हैं तो फ्राफ्रेसर ही…
अब वो गांव वाली भौजी बिफर के बोली…हम चैलेंज कर के कहते हैं कि जब बियाह हुआ था तो झूठ हल्ला हुआ था गांव में,उस समय उ दिल्ली इंदिरा गांधी ओपन यूनिवर्सिटी के रूरल डेवलपमेंट डिपार्टमेंट में टेंपररी डाटा इंट्री करते थे,3 महीना की नौकरी फिर तीन महीना की बेरोजगारी…और ये बेरोजगारी वाला समय में साल के 6 महीने दिल्ली रहने का खर्च किराया देने का खर्च और अपना जेब खर्च के लिए भी ये मरदुआ अपने उसी भाई के टुकड़ों पर आश्रित था जो भाई उनके पसाकोलॉजी मैयां को कन्या निरीक्षण के समय देखने आए थे,जिनको देखते ही पसाकोलॉजी मैयाँ रो पड़ी थी बुक्का फाड़ के बिना मतलब के…. ऊ का है कि उस समय हमारे मरद भी इंदिरा गांधी ओपन यूनिवर्सिटी में ही क्लर्क लगे हुए थे संविदा पर,तो इसका पेमेंट हमारे मरद के हाथ से ही पास होता था….फ्राफ्रेसर तो ये रिश्वत दे के बियाह के एक साल बाद बने हैं,बियाह हुआ था तब भाई के टुकड़ों पर पलनेवाला बेरोजगार टुकड़खोर था वो जिसको गांव में फेरोफ्रेसर फेरोफ्रेसर कहा जा रहा था….
अब जोर शोर से ये चर्चा का विषय है भौजी के गांव में और दशहरा से शुरू हुआ ये चर्चा अब छठ तक चलता रहेगा ऐसे ही….ऐसे में पसाकोलॉजी भौजी के गोतिया वाली भौजी हमसे पूछ रही, कि क्या ये सच है कि ब्याह के समय ये बेरोजगार थे, भाई के टुकड़ों पर पलने वाला टुकड़खोर था और दिल्ली इसलिए जमा हुआ था जिससे फेरोफ्रेसर का हल्ला कर खूब दहेज ऐंठ ले किसी से …क्या फ़ुआ ने झूठ झूठ फेरोफ्रेसर का अफवाह फैलाया था…?
अब हम का बोलते उनको,आज बिजी हैं बाद में बताएंगे कह के हमने कॉल तो काट दिया,क्योंकि सच तो यही था उस समय का जो भौजी के गांव वाली भौजी गांव में सबके बीच पोल खोल रही है…अब…
😄😄😄
#फरोफ्रेसर_पुराण क्रमशः जारी
– रंजन कुमार 25 Oct 2024