Katra Katra Jeevan – Hindi Poetry on Life by Ranjan Kumar

ये कतरा कतरा जीवन
जो भी जिया उन्हें 
सार्वजानिक कर दूँ ?

कम से कम उन हिस्सों 
को जिनमें तुम थे
तेरी बातें थीं ..

कुछ मौन से वादे थे
सपने और उन्हें पूरा करने 
के कुछ इरादे भी .. 
मेरा क्या है सब कुछ तो 

इसी धुंध का हिस्सा है
जिसमे कभी मैं हूँ 
कभी तुम और कभी 
कुछ भी नहीं !!

– रंजन कुमार

Leave a Comment