Love poem : उसके प्यार का वह फ़साना मैं आजतक कहाँ भूला – Ranjan Kumar

me and she

अब उसे कुछ भी तो 
जब याद नहीं 
वो बिसरी बातें ,

सोचता हूँ 
क्या और क्योंकर 
याद भी दिलाऊं मैं ! 

चाँद के पहरे में 
पहरों सितारों से 
करना मेरी बातें ,

लिखकर मेरा नाम 
अपनी हथेली पर 
मुझको दिखलाना ,

रेत पर लिख लिख कर 
वो पैगाम मिटाना ,

उसके प्यार का 
वह फ़साना 
मैं आजतक कहाँ भूला ?

पार स्मृतिओं के 
देह की दुनिया से परे 
मिलेंगे जब तो बताऊंगा ,

जिन्दगी 
बेनूर कटी कितनी 
उससे बिछड़ जाने पर !

रूह की संवाद बस 
रूह से ही हो जाती ,

तो जिन्दगी 
फिर कब की ही 
मुकम्मल  थी !!

– रंजन कुमार

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