जब किसी आम आदमी पर कोई आरोप लगता है और FIR दर्ज हो जाती है पुलिस लतियाते हुए घर से पकड़ ले जाती है पर आसाराम ,नारायण साईं तरुण तेजपाल सहारा प्रमुख और अब मंजू वर्मा बिहार सरकार की पूर्व मंत्री जिसपर मुजफ्फरपुर बालिका गृह काण्ड में चालीस से ज्यादा बच्चियो के साथ बलात्कार के केस से जुड़े मामले में मंत्री जी और मंत्री जी के पति आरोपित हैं,सुप्रीम कोर्ट का निर्देश इसे गिरफ्तार करने की थी पर ऐसे रसूखदार लोगों के मामले में देख रहा हूँ …पुलिस सम्मन भेजती है,आइये हमें आपका इन्तजार है,आप के खिलाफ हमें जांच करनी है …और फिर रसूखदार अपने बचने का इंतजाम करना शुरू कर देता है,गवाहों को प्रभावित करने का कार्य !
मैं ये समझना चाहता हूँ .. यह दो तरह की कार्यवाही संविधान के किस अनुच्छेद के अंतर्गत किया जाता है ? आजाद भारत में तेजपालों के लिए,मंजू वर्मा के लिए उसी पुलिस का नरम रुख और आम लोगों के लिए सख्त .. संविधान की किसी धारा में ऐसा भी कोई प्रावधान है क्या पुलिस के लिए ..?
– रंजन कुमार