Hindi poetry : पथरा गयीं आँखे इस पथ को तकते तकते – Ranjan Kumar
पथरा गयीं आँखे इस पथ को तकते…
पथरा गयीं आँखे इस पथ को तकते…
मृत्यु है उत्सव मनाओ ठाट से, ग़मगीन होने की…
कुछ चौराहे मेरा रास्ता निहारेंगे ! मैं कब का …
रेत पर लिखी थी कभी हम सब ने रिश्तों…
यादें कुछ होती हैं ऐसी , जिन्हें करीब सदा…
जबतक सुविधा हो, ठहर जाओ सफ़र लम्बा है ,…
जब सर जेटली ने बजट भाषण नही पढा इस…
सुबह, रोशनी की पहली किरण जब पड़ीं बालकनी…
मत पूछना कभी किसी शाख पर, ठहरे ओस की…