कुछ चौराहे
मेरा रास्ता निहारेंगे !
मैं कब का
दफ़न हो चुका,
ए दोस्त
उन्हें ये इत्तला करना !
वक़्त की
दहलीज पर कभी ..
मिल जाएँ ,
जो क़दमों के
निशान मेरे ..
मेरी मय्यत समझ
उस दिन वहीं पर ,
ए दोस्त , मेरे लिए
मर्सिया पढ लेना !!
मेरा रास्ता निहारेंगे !
मैं कब का
दफ़न हो चुका,
ए दोस्त
उन्हें ये इत्तला करना !
वक़्त की
दहलीज पर कभी ..
मिल जाएँ ,
जो क़दमों के
निशान मेरे ..
मेरी मय्यत समझ
उस दिन वहीं पर ,
ए दोस्त , मेरे लिए
मर्सिया पढ लेना !!
– रंजन कुमार