लोग मिलते रहें, बिछड़तें रहें.. सफर आखिर लिखा तन्हा था, चलता रहा !
मुसलसल हादसों का सिलसिला .. चलता रहा , बारिश…
मुसलसल हादसों का सिलसिला .. चलता रहा , बारिश…
पारिवारिक तानेबाने का एक अद्भुत सच बताता हूँ जो…
तेरा मिरा किस्सा भी कुछ यूँ तमाम हुआ ,…
सोचो हम .. इक दुसरे के कुछ इतने पास…
मेरे प्रकाशित काव्य संकलन अनुगूँज पुस्तक मे संकलित प्रस्तुत…
मुंदती हुयी आँखों के चारो ओर सिमटती हुयी दुनिया,…
चापलूसों और स्वार्थी लोगों के लिए कोई रिश्ता नही…
मैंने अपने डॉ साहब को डॉ नही रहने दिया…
बिहार से हूँ मैं भी तो वहां की…