स्नेही राम के हो तुम, राम तुम्हे प्यारे हैं
स्नेही राम के हो तुम , राम तुम्हे प्यारे…
स्नेही राम के हो तुम , राम तुम्हे प्यारे…
घर के बाहर ही नही घर के अंदर भी…
बचपन से सुना था ,बिल्ली के गले में घंटी…
कभी फुर्सत में सोचूंगा ,खोया क्या और पाया क्या…
चूहे और छछूंदर की शादी हुई , फिर एक…
कोई जलतरंग सा नहीं बजा मन में ,हवाएं भी बहती…
चिरागों की रौशनी में तुम अंधेरों को ढूँढना…
जब किसी आम आदमी पर कोई आरोप लगता है…
मशरूफ इतना न रहूँ मौला की तेरी याद ही…