राम को वनवास दे ही दिया जब मरो पुत्र वियोग में, रोवो तड़पो चीत्कार करो !
मेरे प्रकाशित काव्य संकलन अनुगूँज पुस्तक मे संकलित प्रस्तुत है…
मेरे प्रकाशित काव्य संकलन अनुगूँज पुस्तक मे संकलित प्रस्तुत है…
मुंदती हुयी आँखों के चारो ओर सिमटती हुयी दुनिया, और…
चापलूसों और स्वार्थी लोगों के लिए कोई रिश्ता नही होता…
मैंने अपने डॉ साहब को डॉ नही रहने दिया दद्दू…
बिहार से हूँ मैं भी तो वहां की एक…
ये आंधियाँ बुझा न दें जलाये थे हमने चिराग कुछ…
अब किसी साथ का वादा न कर ऐतबार नहीं होता…
ये कतरा कतरा जीवन जो भी जिया उन्हें सार्वजानिक कर दूँ…