Hindi sad poetry : बेगुनाही ही मेरा कसूर हुआ – Ranjan Kumar

उसे रोने का हुनर आता था तो गुनाह कर…
उसे रोने का हुनर आता था तो गुनाह कर…
यादों को सिरहाने रख देता हूँ , ले जाना…
सवाल तेरे ही जब तुझसे जवाब मांगेंगे , मै…
शादी का झाँसा देकर हमारे साथ इतने दिन..इतने…
ओ पिता तर्पण तुम्हें.. चिर विश्राम करो तुम,, परमात्मा…
फादर्स डे की सुबह सुबहअर्जुन ने पूछा कर्ण से,किसे…
कहाँ तक तलाशोगे मेरा वजूद आखिर ? . बिछड़…
वह सिर्फ सफ़र नहीं था, हमसफ़र .. युगों की…
प्यार और स्नेह धारा है एक विद्युत् तरंग जैसा ..…