Hindi poetry : अपना मुस्तकबिल -Ranjan Kumar
अपना मुस्तकबिल तो रख दिया था तुम्हारी देहरी पर ही चलते चलते ! अब कहीं भी पहुंचू सुकून …
अपना मुस्तकबिल तो रख दिया था तुम्हारी देहरी पर ही चलते चलते ! अब कहीं भी पहुंचू सुकून …
जब निकम्मों का हुक्म हुनर वालों को मानने पर विवश होना पड़े , जब मूर्खो का भाषण बुद्धिमानो …
Hindi poetry : तब समझ लेना ये संक्रमण काल है – Ranjan Kumar Read More »
अमेरिका और पाकिस्तान दोनों मिलकर अपने एफ 16 की इज्जत बचाने में लगे हैं अब क्योंकि इसी में …
सांप से भी ज्यादा जहरीला है आज का इंसान , सांप एक बार डस ले तो जान पर …
सांप से भी ज्यादा जहरीला है आज का इंसान – Ranjan Kumar Read More »
दरिया मे तैरती डूबती उतराती सी एक कश्ती हूँ मैं , लहरों के थपेड़ों से डरकर नहीं पूछती …
झूठ का वहम भी अच्छा है जिन्दगी को सुकून से जी लेने के लिए ! सत्य खोल देता …
Hindi poem on life : झूठ का वहम भी अच्छा है – Ranjan Kumar Read More »
तुम्हारा अक्स अश्कों में झिलमिलाता है , फिर पूछता हूँ खुद से अब तक मेरे होने का …
Spiritual love poem : तुम्हारा अक्स – Ranjan Kumar Read More »
कुछ कौए हंस बनना चाहते थे , पर रंग कर अपने सफेद .. वक़्त की बारिश में धुल …
रक्त चूषक अक्सर लिजलिजे होते हैं , सर्व सुलभ और सर्व ब्यापक भी ! यथा जोंक ,चमोकन , …
दुनिया के थपेडों से घायल हो ज़िस्म फिर भी, रूह की पाकीजगी को यूँ नूर से रौशन रखना ! रूह …
Spiritual love poetry : फिर मिलेंगे सफर में कहीं अनंत के – Ranjan Kumar Read More »