तुम मेरी प्यास बुझाने के लिए तृप्ति की बूंदें बन के मिलना मुझसे, बार बार हरबार हजारों बार
तुम मेरी प्यास बुझाने के लिएतृप्ति की बूंदें बन के मिलना मुझसे,बार बार हरबार हजारों बार …मेरी चेतना को जब जब नींद आ जाएमेरे हर एक नींद मेंतुम ही मेरा ख्वाब बननाऔर जब नींद मुकम्मल होऔर मेरी चेतना जाग्रत होतो…