Hindi poetry : यही किस्मत है दीप की – Ranjan Kumar

जलता रहा मैं रात भर चिराग बन बन के,अंधेरों…
जलता रहा मैं रात भर चिराग बन बन के,अंधेरों…
तुझे नंगा सच पसंद नहीं , और मुझे ……
पथरा गयीं आँखे इस पथ को तकते…
मृत्यु है उत्सव मनाओ ठाट से, ग़मगीन होने की…
कुछ चौराहे मेरा रास्ता निहारेंगे ! मैं कब का …
रेत पर लिखी थी कभी हम सब ने रिश्तों…
यादें कुछ होती हैं ऐसी , जिन्हें करीब सदा…
जबतक सुविधा हो, ठहर जाओ सफ़र लम्बा है ,…
जब सर जेटली ने बजट भाषण नही पढा इस…