Hindi poetry: वो कौए कौए भी न रहे

कुछ कौए हंस बनना चाहते थे , पर रंग…
कुछ कौए हंस बनना चाहते थे , पर रंग…
रक्त चूषक अक्सर लिजलिजे होते हैं , सर्व सुलभ …
दुनिया के थपेडों से घायल हो ज़िस्म फिर भी, रूह…
उधार का तेल और उधार की ही बाती है…
मानवता की सेवा में गरीबों के लिए खुद को…
उसने दिल से ही पुकारा होगा … फिर दिल…
बाबा नीब करौरी जी महाराज ने आज भी,जैसा…
सटीक और सार्थक आलेख.. शायद कई बन्द आँखें खोल…
चांदनी दुष्टा , कुलच्छिनी, ये बता …. देखती…