मैं केवल शरीर नहीं हूँ नाद हूँ आत्मा का और हस्ताक्षर हूँ काल का-Ranjan Kumar

मैं केवल शरीर नहीं हूँ, मैं बुलंद स्वर हूँ, परमात्मा का, नाद हूँ आत्मा का, और हस्ताक्षर हूँ काल का.. शरीर यह मिट भी गया तो क्या.. मैं गूँजता रहूँगा ब्रह्मांड में सत्य का निर्विवाद सुर बनकर, थप्पड़ जड़ता रहूँगा…