Poetry

alone boy

लोग मिलते रहें, बिछड़तें रहें.. सफर आखिर लिखा तन्हा था, चलता रहा !

मुसलसल हादसों का सिलसिला .. चलता रहा ,  बारिश होती रही,शाख से पत्ता-पत्ता टूटता रहा ! . लोग कुछ …

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army cap

मुंदती हुयी आँखों के चारो ओर सिमटती हुयी दुनिया

मुंदती हुयी आँखों के चारो ओर सिमटती हुयी दुनिया, और बुझता हुआ  , जिन्दगी का चिराग ! कह देना …

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