धड़कनों के स्पंदन को सुनना सन्नाटे से गुजर कर
धड़कती धड़कनों का स्पंदन, तुम्हें सब .. सुनायी देगा ! . जब खुद के पैदा किये शोर से दूर …
धड़कती धड़कनों का स्पंदन, तुम्हें सब .. सुनायी देगा ! . जब खुद के पैदा किये शोर से दूर …
मुसलसल हादसों का सिलसिला .. चलता रहा , बारिश होती रही,शाख से पत्ता-पत्ता टूटता रहा ! . लोग कुछ …
लोग मिलते रहें, बिछड़तें रहें.. सफर आखिर लिखा तन्हा था, चलता रहा ! Read More »
तेरा मिरा किस्सा भी कुछ यूँ तमाम हुआ , . जैसे हर शाम के बाद रात ढल जाती …
सोचो हम .. इक दुसरे के कुछ इतने पास में हों तो ? बेशक हजारों मीलों .. का …
मुंदती हुयी आँखों के चारो ओर सिमटती हुयी दुनिया, और बुझता हुआ , जिन्दगी का चिराग ! कह देना …
ये आंधियाँ बुझा न दें जलाये थे हमने चिराग कुछ ! . अगली सुबह के आने तक रखना …
ये आंधियाँ बुझा न दें जलाये थें हमने जो चिराग कुछ ! Read More »
अब किसी साथ का वादा न कर ऐतबार नहीं होता है, . कहते हैं ऐतबार को ऐतबार ही …
ये कतरा कतरा जीवन जो भी जिया उन्हें सार्वजानिक कर दूँ ? कम से कम उन हिस्सों को जिनमें तुम थे …
Katra Katra Jeevan – Hindi Poetry on Life by Ranjan Kumar Read More »