Category Poetry

ये झंकृत मन और यह झंकृत तन – Ranjan Kumar

ये झंकृत मन और यह झंकृत तन, तूने ही तो माँ मुझमें अनुनाद भरें हैं… दुर्गम है पथ पर तूने ही थाम रखा है, उस कृपा के दमपर ही तो अबतक हम भी डटे रहे हैं .. सारी प्रकृति में…