Category Poetry

मैं केवल शरीर नहीं हूँ नाद हूँ आत्मा का और हस्ताक्षर हूँ काल का-Ranjan Kumar

मैं केवल शरीर नहीं हूँ, मैं बुलंद स्वर हूँ, परमात्मा का, नाद हूँ आत्मा का, और हस्ताक्षर हूँ काल का.. शरीर यह मिट भी गया तो क्या.. मैं गूँजता रहूँगा ब्रह्मांड में सत्य का निर्विवाद सुर बनकर, थप्पड़ जड़ता रहूँगा…

HINDI POEM : तुलना तेरी बबूल से फिजूल है !

तू एक लता है,सहारे से दरख्तों पर सवार हो ऊचांई पर अपनी बेवजह इतराता है… मैं बबूल का एक झाड़ ही सही, फख्र है मुझे खड़ा हूँ और जितना भी बढ़ा हूँ खुद के दम पर ! उन सारी प्रतिकूल…