ये आंधियाँ बुझा न दें जलाये थें हमने जो चिराग कुछ !

ये आंधियाँ बुझा न दें जलाये थे हमने चिराग कुछ ! . अगली सुबह के आने तक रखना संभाल कर इन्हें !! – रंजन कुमार
ये आंधियाँ बुझा न दें जलाये थे हमने चिराग कुछ ! . अगली सुबह के आने तक रखना संभाल कर इन्हें !! – रंजन कुमार
अब किसी साथ का वादा न कर ऐतबार नहीं होता है, . कहते हैं ऐतबार को ऐतबार ही छला करता है अक्सर ! – रंजन कुमार