Category Poetry

लोग मिलते रहें, बिछड़तें रहें.. सफर आखिर लिखा तन्हा था, चलता रहा !

alone boy

मुसलसल हादसों का सिलसिला .. चलता रहा ,  बारिश होती रही,शाख से पत्ता-पत्ता टूटता रहा ! . लोग कुछ जों बैठें थे .. रौशिनी की फ़िराक में , सूरज को भी फर्क किआ, आखिर डूबता रहा ! . समंदर के किनारे…